मंगलवार, 21 जुलाई 2020

क्या होता है कर्फ्यु और धारा 144 तथा शूट और साईट किसे कहते है ?( WHAT IS CURFEW AND SECTION 144 AND WHAT IS SHOOT AND SITE IN HINDI) - UHP


कर्फ्यु,धारा 144 किसे कहते है और इसे कब लगाया जाता है तथा शुट अ‍ॅण्ड साइट की आज्ञा कब दी जाती है ?



कर्फ्यु और धारा 144 क्या होती है/ किसे कहते है


कर्फ्यु और धारा 144 दोनो अलग-अलग होते है और हम आपको लॉकडाउन के बारे मे भी बताएंगे। कर्फ्यु, धारा 144 और लॉकडाउन से बहुत अलग है और इसमे बहुत से अधिकार पुलिस-प्रशासन को प्राप्त होते है और इसकी कुछ विशेष बाते भी है। हम आपको शुट और साइट के बारे मे भी बताएंगे और यह भी बताएंगे की इसका उपयोग कब किया जाता है। हमने नीचे एक तालिका निर्माण की है जिसमे कर्फ्यु,धारा 144 तथा लॉकडाउन के बारे मे बताया गया है और इन तीनो मे क्या अंतर है यह भी स्पष्ट किया गया है।

लॉकडाउन,धारा 144 और कर्फ्यु की तालिका :-


लॉकडाउन

धारा 144

कर्फ्यु

लॉकडाउन यह परिस्थितिओ को ध्यान मे रखकर लगाया जाता है जैसे कि कोई प्राकृतिक आपदा आनेपर या बिमारीयो को फैलने से रोकने के लिए होता है।

धारा 144 यह तब लगाई जाती है जब किसी तरह की सुरक्षा संबंधित,स्वास्थ्य संबंधित और साथ-साथ दंगे होने अथवा हिंसा होने की आशंका हो तब इस सीआरपीसी की धारा 144 को लागू किया जाता है।

कर्फ्यु को बहुत ही गंभीर स्थिति मे लगाया जाता है जैसे की आतंकवादी हमला होनेपर,महामारी रोकने के लिए और बार-बार किए जानेवाले हमले या दंगे से निपटने के लिए कर्फ्यु लगाया जाता है

लॉकडाउन मे लोगो घरपर रहने की अपील की जाति है

धारा 144 मे एक जगह पर पांच या उससे ज्यादा व्यक्ति नही रुक सकते

कर्फ्यु मे लोगो को घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंधित कर दिया जाता है लोगो घर मे ही रहना पडता है

आवश्यक वस्तुए जैसे की अस्पताल और बाज़ारो को थोडी देर या इसे खुला रखा जाता है,यातायात बंद कर दिया जाता है

धारा 144 मे किसी भी व्यक्ति को हथियार लाने-ले जानेपर प्रतिबंध होता है पुलिस के अलावा और इसमे यातायात पर प्रतिबंध नही होता

कर्फ्यु मे आव्श्यक वस्तुओ के लिए लोगो को कुछ देर तक छुट दी जाती है जिसमे वह बाज़ार जा सकते है लेकिन लोगो को यह सब सुरक्षा कर्मियो की निगरानी मे करना पडता है और अगर उन्हे स्वास्थ्य संबंधित कोई परेशानी होती है तो उन्हे सुरक्षाकर्मियो अथवा प्रशासन से संपर्क करना पडता है अथवा यातायत पर भी पुर्ण रुप से प्रतिबंध लगाया जाता है

लॉकडाउन का उल्लंघन करनेवालो पर कारवाई की जाती है अथवा दंड भी वसुल किया जा सकता है

अगर कोई व्यक्ति धारा 144 का उल्लंघन करता है तो उसपर दंगे भडकाने का या उसमे शामिल होने का मामला दर्ज किया जा सकता है जिसके अंतर्गत 3 साल तक कैद की सजा भी हो सकती है

कर्फ्यु का भी उल्लंघन करनेवाले व्यक्तियो पर मामला दर्ज होता है और इसमे भी कैद की सजा मिल सकती है और यह सब बहुत ही सख्ती से किया जाता है

इसमे आव्श्यक सेवाओ को चालु रखा जाता है और बाकी सभी बंद किए जाते है मार्केट,कॉलेज,दुकाने(सरकारे इसे कुछ समय के लिए भी खोलने का आदेश दे सकती है)

इसमे सभी सेवाए चालु होती है लेकिन अगर सरकार चाहे तो कुछ सेवाए बंद भी कर सकती है

कर्फ्यु मे बहुत ही आवश्यक सेवाए चालु होती है इसके अलावा सभी बंद कर दी जाती है और नागरिको के अधिकार भी खत्म किए जा सकते है



शुट और साइट किसे कहते है और इसकी आज्ञा कब दी जाती है ?


ऊपर दी गई तालिका मे हमने आपको तीनो मे क्या अंतर है यह बताया इन तीनो परिस्थितियो मे अगर सरकार चाहे तो कुछ बदलाव भी कर सकती है और धारा 144 को एक समयतक ही लागु किया जाता है इसे छह महीने से ज्यादा लागु नही किया जा सकता और अब हम आपको शुट और साइट के बारे मे बताएंगे :-

शुट और साइट को तब लागु किया जाता है जब कोई बडा दंगा हो रहा हो और उस दंगे मे लोग हिंसा नही करनी की अपील को नही सुन रहे है और लोगो को घायल करते ही जा रहे है और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाए ही जा रहे है तो पुलिस अथवा सुरक्षाकर्मियो को शुट और साइट की आज्ञा दी जा सकती है। इसे और अच्छे से समझने के लिए एक परिस्थिति के बारे मे सोचे जहाँ कोई आंदोलन चल रहा है और वह आंदोलन कुछ लोगो द्वारा किया जा रहा हो और वह आंदोलन कुछ समय बाद हिंसक हो जाता है और आंदोलनकर्ता सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हो और लोगो को घायल या उनपर जानलेवा हमला कर रहे हो अथवा सुरक्षाकर्मियो पर भी हमला किया जा रहा हो तो ऐसे मे पुलिस सबसे पहले आसु गैस और लोगो से अपील करती है की हिंसा न करे और अपने-अपने घर मे रहे लेकिन अगर आंदोलनकर्ता ऐसा न करके हिंसा करते ही जा रहे हो अथवा परिस्थिति और गंभीर होनेपर पुलिस को शुट और साइट का ऑर्डर/आज्ञा दी जाती है जिसमे पुलिस दंगे करनेवाले और हिंसा करनेवाले लोगो पर गोली चलाती है अथवा उन्हे रोकने के लिए उन्हे घायल भी कर सकती है ताकी लोगो को बचाया जा सके और संपत्ति को नुकसान कम हो।


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